जैताजी-कूंपाजी के अदम्य साहस की कहानी:मारवाड़ के 8600 सपूतों से डर युद्ध छाेड़ भागे शेरशाह ने कहा था- मुट्ठीभर बाजरे की खातिर दिल्ली की सल्तनत गंवा बैठता https://ift.tt/eA8V8J

5 जनवरी 1544 को गिरी-सुमेल में मारवाड़ के योद्धाओं से डरकर भागी थी शेरशाह की सेना

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