बुजुर्गों के चेहरे पर खुशी लाएंगे, उन्हें इस साल वृद्ध-मित्र वॉकर उपलब्ध कराने का चलाएंगे अभियान https://ift.tt/2WZreuC

यूं तो नए साल पर हर कोई संकल्प लेता है लेकिन यह अनूठा है। दूसरा दशक के निदेशक मुरारीलाल थानवी ने बुजुर्गों के लिए कुछ अलग करने का संकल्प लिया है। वे कहते हैं कि हमारे समाज के अनेक बुजुर्ग वृद्धावस्था के समय बिना सहारे के चलने-फिरने में असमर्थ हो जाते हैं। दैनिक काम किसी की मदद के संभव नहीं हो पाते। उनकी ओर हर किसी का ध्यान नहीं जाता। इसलिए वे उन्हें सहारे के लिए वॉकर देंगे। साथ ही उन्होंने आह्वान किया है कि हर व्यक्ति अपने परिवार के बुजुर्ग को यह लाकर दें। पढ़िए उनके इस संकल्प के पीछे की कहानी उन्हीं की जुबानी

मैंने अपने घर में अपने पिताजी को इस तकलीफ से गुजरते हुए देखा, डर रहता था कि कभी अकेले जाते समय गिर ना जाएं। तब उनकी सुविधा के लिए मैं वॉकर ले आया ताकि कोई पास में न भी हो तो वे आसानी से शौच आदि के लिए जा सकें, थोड़ा घूम भी सकें। जब मैं वॉकर लाया तो वे नाराज हुए कि मुझे इसकी क्या जरूरत है ? उन्होंने उसका इस्तेमाल भी नहीं किया।
कुछ दिन बाद जब चलने-फिरने के वक्त उन्हें खुद को गिरने का डर लगने लगा तब उन्होंने वॉकर का उपयोग करना शुरू कर दिया। वे अकेले चलने-फिरने लगे और मुस्कुरा कर आशीष दी। मैंने सिर्फ उनकी तकलीफ को देख कर छोटा-सा साधन सामने रखा था लेकिन उन्होंने तो मुझे अनमोल आशीष दी। पापा हमें 2018 में छोड़ कर चले गए लेकिन उनकी मुस्कुराती हुई आशीष आज भी मेरे साथ है।
मैं फाउंडेशन फ़ॉर एज्युकेशन एंड डेवलपमेंट ट्रस्ट के तहत चलने वाली दूसरा दशक संस्था में काम करता हूं। हमारी टीम जरूरतमंद परिवारों की शिक्षा, स्वास्थ्य आदि मुद्दों पर काम करती है। हमने पिछले दिनों गांवों-कस्बों में अनेक बुजुर्गों को मेरे अनुभव की दृष्टि से देखा। महसूस हुआ कि ज्यादातर परिवार अपने बुजुर्ग अभिभावकों के प्रति संवेदनशील हैं।

उनकी देखभाल करते हैं, इलाज कराते हैं । इलाज पर हजारों रुपये खर्च करते हैं लेकिन मात्र 800-1000 की कीमत के वॉकर का सहारा देने का खयाल उनके दिमाग में अभी तक नहीं आ रहा है। सामान्यतया केवल हड्डी टूटने पर ही वॉकर की खरीद होती है, वह भी डॉक्टर के कहने पर।
इसलिए हमने तय किया है कि वर्ष 2021 में हम बुजुर्गों के लिए “ वॉकर “ का सहारा उपलब्ध कराने के लिए समाज में माहौल बनाएंगे। वॉकर को वृद्ध-मित्र के रूप में प्रचारित करेंगे। इसके लिए सर्वप्रथम बेहद जरूरतमंद परिवारों के बुजुर्गों को निःशुल्क वॉकर भेंट करेंगे। शुरुआत मेरे परिवारजन कर रहे हैं। दूसरा दशक के साथी भी योगदान देंगे।

समाज में निर्धन लोग काफी हैं, अधिक से अधिक बुजुर्ग लोगों को वृद्ध-मित्र (वॉकर) के रूप में सहारा मिले इसके लिए अन्य लोगों से भी राशि एकत्र करेंगे। एक सामान्य वॉकर का औसत खर्च 800-900 रुपए ( जरूरतमंद बुजुर्ग तक पहुंचने के खर्च सहित ) आने की उम्मीद है। कुछ बुजुर्गों को केवल छड़ी की जरूरत, उनके लिए छड़ी भी मंगवाएंगे। सक्षम लोगों को प्रेरित करेंगे। ताकि वे खुद अपने परिवार के बुजुर्गों को वॉकर लाकर दे और दूसरों की भी मदद करें।



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