किरण माहेश्वरी नहीं रही। सोमवार सुबह जिसने भी यह सुना, अवाक रह गया। वे भाजपा जिला संगठन प्रभारी तो थीं ही, राष्ट्रीय राजनीति तक पहचान बनाने वाली किरण घोसुंडा गांव की बहू थीं।
राजसमंद विधायक, पूर्व सासंद, पूर्व मंत्री किरण माहेश्वरी (59) का रविवार देर रात बाद मेदांता अस्पताल गुड़गांव में निधन हो गया। वे एक महीने पहले कोरोना संक्रमित हुई थीं। उनका विवाह 1981 में चित्तौड़ तहसील के घाेसुंडा निवासी चौखड़ा परिवार में हुआ था। हालांकि वो सीए पति सत्यनारायण माहेश्वरी के प्रोफेशन से शुरू से उदयपुर में ही रहीं पर घोसुंडा आना-जाना रहता था। इसी कारण पारिवारिक व सियासी दृष्टि से उनका चित्तौड़गढ़ जिले से आखिर तक जुड़ाव रहा।
आखिरी राजनीतिक दौरा भी चित्तौड़ ही रहा, कोरोना को लेकर सबको टोकती रही, अगले दिन खुद संक्रमित
प्रदेश भाजपा ने किरण को चित्तौड़गढ़ जिला संगठन प्रभारी का दायित्व दे रखा था। इस नाते उन्होंने जिले की पहली बैठक 13 सितंबर को ली। तब विधायक आदि के साथ दुर्ग पर कालिकामाता मंदिर दर्शन करने भी गई। पंचायतराज चुनाव कार्यक्रम घोषित होते ही 26 अक्टूबर को फिर यहां जिला बैठक में भाग लेने आई। इस बैठक के बाद ही चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी और किरण माहेश्वरी कोरोना संक्रमित पाए गए। सीपी ने उसी दिन यहीं पर तो किरण ने अगले दिन उदयपुर जांच कराई थी। सांसद जोशी व विधायक चंद्रभान आक्या के अनुसार किरणजी पिछले दोनों दौरे में कोरोना को लेकर इतनी सजग थी कि वो मास्क को लेकर हर समय कार्यकर्ताओं को टोकती रही। खुद भी मास्क पहने रही। सीपी व किरण कोटा नगर निगम प्रचार से सीधे चित्तौड़ आए थे। दोनों संभवतया वहीं से संक्रमित हुए। हालांकि या लंबी बैठक के दौरान जरूर कुछ समय मास्क नीचे करने की चूक हुई।
हर सुख-दुख में घोसुंडा आना नहीं भूलती थी भाभी, मंत्री होकर भी ससुर के निधन पर पूरे 12 दिन रही
किरण भाभी उदयपुर ही रही। नप सभापति से लेकर विधायक, सांसद, प्रदेश मंत्री और पार्टी में राष्ट्रीय कार्यकारिणी पदाधिकारी समेत उनको तमाम सियासी पद और सफलताएं भी उदयपुर-राजसमंद से ही मिली। इसके बावजूद ससुराल घोसुंडा हमेशा सर माथे पर रखा। परिवार में मुंडन, शादी हो या गमी, हर मौके पर आती रहीं। यहां पाल का हनुमानजी के प्रति उनका इतना इष्ट था कि महीने-डेढ़ महीने में दर्शन के बहाने आ जाती थी। हर दिवाली या दूसरे दिन परिवार सहित आना तय था। तीन साल पहले ससुर मिठालाल चौखड़ा के निधन पर 12 दिन रुकीं। तब तो वो प्रदेश में केबिनेट मंत्री थीं। पीएचईडी मंत्री रहते हुए घोसुंडा में पेयजल योजना सहित विकास और समस्या निदान के कई काम करवाए।
कैलाश चौखड़ा, एडवोकेट और पारिवारिक सदस्य घोसुंडा
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