विरासत बचाने की पहल से जुड़ते गए युवा, निखर रहीं शहर-गांव की छतरियां, मंदिर व बावड़ियां https://ift.tt/3lxaEgy

बूंदी के एक युवक ने दो साल पहले विरासत को बचाने का अभियान शुरू किया। कारवां बढ़ता गया और छतरियों, मंदिरों, बावड़ियों, तालाबों और महलों की कायापलट करने में अब सैकड़ों युवा जुटे हुए हैं। सेव ऑवर हेरिटेज फाउंडेशन के अरिहंत सिंह शेखावत ने 2018 में बूंदी से संरक्षण की मुहिम शुरू की। अब तक वे हाड़ौती क्षेत्र के बूंदी, कोटा, बारां में कई पुराने स्मारक संवार चुके हैं।

इन स्मारकों को संवारने में जो फंड की आवश्यकता होती है, वो भी यह संस्था अपने स्तर पर जुटाती है। इसी कड़ी में शेखावत ने अपने ननिहाल जोधपुर में काम प्रारंभ किया। नांदड़ा कलां गांव की छतरियों को संवारने का बीड़ा उठाया। फाउंडेशन की जोधपुर इकाई ने गांव के उत्तर दिशा में जोजरी नदी के किनारे 16वीं व 18वीं शताब्दी की छतरियों को संवार दिया।

हमारे पूर्वजों के परिश्रम को बेकार नहीं जाने देंगे
शेखावत ने बताया कि हमारे पूर्वजों ने बहुत ही परिश्रम से मंदिरों, बावड़ियों, कुंड, तालाब व महलों का निर्माण कराया था। इसे बेकार नहीं जाने देंगे। फाउंडेशन के युवाओं ने सोशल मीडिया पर अभियान चलाया। शेखावत और हेमेंद्र प्रतापसिंह कानावत ने दो साल पहले भ्रमण के दौरान बूंदी की अरावली पहाड़ी पर सूरज छतरी पर भगवान सूर्यनारायण की प्रतिमा धूल से सनी देखी तो उन्होंने इसकी सफाई की। बस तब से उन्हें यह अभियान चलाने की प्रेरणा मिली। युवाओं ने बूंदी के भीमलत के जंगलों में स्थित ऐतिहासिक महत्व के एकमुखी शिवलिंग की दशा को सुधारा। गरड़दा बांध के डूब क्षेत्र में आई रॉक पेंटिंग का संरक्षण किया।



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Chhatris, temples and stepwells in the city, glowing, joined the initiative to save the heritage


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