सीकर जिले के जनप्रतिनिधियों और जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता ने रविवार को 14 माह के मासूम बच्चे की जान ले ली। हर्ष पर्वत पर रविवार को जो हुआ वह हादसा नहीं हत्या है। इसके दोषी हैं वो तमाम जनप्रतिनिधि और अधिकारी जो तीन साल में हर्ष पर्वत की टूटी सड़क तक ठीक नहीं करा पाए। इसी टूटी सड़क के कारण रविवार को 14 माह के मासूम की जान चली गई।
समर्थपुरा डूकिया गांव की केशरदेवी 14 महीने के पाेते काे लेकर हर्ष पर्वत के भैरूं मंदिर में जड़ूला उतारने गई थी। इस दाैरान बच्चे का पिता शंकरलाल और दाे उसके रिश्तेदार भी साथ थे। पाेते का जड़ूला उतारने के बाद केशरदेवी उसकाे गाेद में लेकर पर्वत से नीचे उतर रही थी।
वहां माैजूद रिश्तेदार नेमीचंद ने बताया कि टूटी सड़क के कारण अचानक केशरदेवी का पैर फिसल गया और वह गिर गई। गोद से 14 महीने का पोता भी सड़क पर गिर गया। जब बच्चा गोद से गिरने लगा तो दादी ने हाथ नीचे लगाकर उसके चाेट लगने से बचाने का प्रयास भी किया। दादी का हाथ बच्चे के शरीर के नीचे तक पहुंच भी गया था।
लेकिन, झटके से जब नीचे तक पहुंचा ताे उसकी गर्दन टूट गई और मौके पर ही उसकी मौत हो गई। हादसे के बाद पिता भी गश खाकर वहीं गिर पड़ा। परिजन बच्चे काे लेकर निजी अस्पताल भी गए। लेकिन, डाॅक्टर ने बच्चे काे मृत घाेषित कर दिया। इसके बाद परिजन शव लेकर गांव चले गए।
शंकरलाल के पहले बच्चे को बीमारी, दूसरे को प्रशासन की लापरवाही ने छीन लिया
रिश्तेदार नेमीचंद के अनुसार शंकरलाल जयपुर स्थित मील में मजदूरी करता है। शंकरलाल के पहले नवजात बच्चे की माैत बीमारी के कारण हाे गई थी। यह उसका दूसरा बच्चा था।
इसके सकुशल जन्म से घर में खुशियाें का माहाैल था। बच्चे का जड़ूला उतारने के बाद परिवार के लाेगाें ने उसके साथ सेल्फी भी ली थी। लेकिन, उन्हें क्या पता था कि वहीं सेल्फी बच्चे की आखिरी याद बन जाएगी।
बाइक सवार ने पहुंचाया अस्पताल : घटना के दाैरान एक बाइक सवार हर्ष पर्वत से नीचे उतर रहा था। उसने परिवार के लाेगाें काे राेते बिलखते देखा ताे बच्चे और उसके पिता शंकरलाल काे बाइक पर लेकर पर्वत के नीचे पहुंचा।
पाबंदी के बावजूद बाइक नीचे उतरती देख गांव वालाें ने विराेध जताया। बाद में घटना का पता चला तो बाइक सवार को जाने दिया।
ग्रामीण बोले कलंक लगा दिया प्रशासन ने : घटना के बाद हर्ष गांव के लाेगाें ने जिला प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जाहिर की। ग्रामीणों ने कहा कि प्रशासन ने पूरे क्षेत्र के माथे पर कलंक लगा दिया।
प्रशासन इतने दिनाें बाद भी टूटी सड़काें काे सुधार नहीं पाया। जिसका खामियाजा 14 माह के बच्चे को जान देकर चुकाना पड़ा। ग्रामीणों का कहना था कि चहेताें काे वाहन लेकर जाने दिया जा रहा है।
दोपहर की घटना, पुलिस को शाम को मिली जानकारी
इस घटना ने हर्ष पर पुलिस सुरक्षा की भी पोल खाेल दी। दोपहर में घटी घटना की जानकारी पुलिस को शाम को मिली। मामले में सदर थानाधिकारी पुष्पेंद्र िसंह का कहना है कि घटना दाेपहर करीब साढे़ तीन बजे की है। जिसकी जानकारी शाम काे मिलने पर पुलिस काे माैके पर भिजवाया गया था।
लेकिन, तब तक परिजन बच्चे काे लेकर सीकर पहुंच गए थे। हर्ष पर्वत पर गश्त के लिए पुलिस, पवन चक्की के गार्ड के अलावा पर्वत पर स्थित मंदिराें की प्रतिदिन पूजा करने के लिए जाने वाले पुजारियाें खातिर वाहन ले जाने की पास सुविधा कर रखी है।
तीन साल से सड़क की राह देख रहा है हर्ष पर्वत
करीब 3 साल पहले भाजपा सरकार के कार्यकाल में 6.5 किमी सड़क निर्माण के लिए 6 करोड रुपए मंजूर हुए थे, लेकिन बाद में प्रोजेक्ट फाइलों में अटक गया। कई बार स्थानीय लोगों ने सरकार और मंत्रियों को ज्ञापन भी दिए।
फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। अफसर और नेताओं की उदासीनता के कारण प्रोजेक्ट का काम शुरू नहीं हो पाया। जिम्मेदारियों की इसी उदासीनता से 14 माह के मासूम की जान ले ली।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3bisSOo
Comments
Post a Comment
Thanks for your reply...