लंबा लाॅकडाउन झेलने के बाद इंडस्ट्रीज अब भी सामान्य हाेने की काेशिश में हैं, इसी बीच निर्यातकाें के लिए एक नई ही समस्या खड़ी हो गई है। ऑर्डर्स तैयार होने के बावजूद कंटेनर्स की कमी होने से निर्यातक एक्सपोर्ट नहीं कर पा रहे हैं। इस कारण निर्यातकों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है।
निर्यातको का कहना है की एक 40 फीट कंटेनर बुकिंग के लिए 7-8 दिन तक का इंतजार करना पड़ रहा है। समय रहते यदि स्थितियां नहीं सुधरीं तो निर्यातक संकट में आ जाएंगे। कंटेनर की यह कमी भी अजीबोगरीब कारण से हुई है। दरअसल देश में अायात कम होने से कंटेनर्स की आवक कम हो रही है।
इससे देश में कंटेनर्स की उपलब्धता भी कम हो गई है। ऐसे में देश के निर्यातक अाॅर्डर्स होने के बावजूद माल नहीं भेज पा रहे हैं। कई एक्सपोर्ट यूनिट्स में निर्यात किया जाने वाला माल शिपमेंट के लिए कंटेनर डिपो पहुंचकर अटक गया है।
जानिए, आयात से कंटेनर की उपलब्धता पर प्रभाव-
- देश से जिन कंटेनर में माल निर्यात हाेते हैं, वे यदि वहां से खाली मंगवाए जाएं तो भाड़ा निर्यातकों के लिए भारी पड़ जाता है।
- ऐसे में कंटेनर्स की पूरी दुनिया में ग्लोबल व्यवस्था है।|
- विदेश से आयात हुआ माल कंटेनराें से खाली हाेने के बाद ये कंटेनर निर्यातकों को उपलब्ध करवा दिए जाते हैं।
चीन से आयात में कमी भी कारण
भारत-चीन सीमा विवाद के चलते हाल ही में चीन से आयात भी बंद है। ऐसे में देश में आने वाले कंटेनर्स की संख्या काफी कम हो गई है। इससे निर्यातकों के यहां से कंटेनर्स रवाना तो हो रहे थे, लेकिन विदेशों से वापसी कम हो गई थी। यही कारण है कि अब कंटेनर्स की कमी होने लगी है।
निर्यातकाें के लिए समस्याएं ये भी
निर्यातकाें के सामने मालवाहक जहाजों में स्थान की अनुपलब्धता की परेशानी भी सामने आ रही है। कंटेनर बुकिंग करने वाले फाॅर्वर्डर बुकिंग की तारीख से तीन-चार सप्ताह के बाद जहाजाें के लिए बुकिंग जारी कर रहे हैं। अगर जहाज में जगह की अनुपलब्धता के कारण कंटेनर को लोड नहीं किया गया है, तो कुछ शिपिंग लाइनें निर्यातकाें से ग्राउड रेंट, डैमेज व डिटेंशन के नाम पर मोटी रकम भी वसूल रही हैं। इससे निर्यातकाें को घाटा हो रहा है। वहीं कंटेनर्स समय पर नहीं पहंुचने से उन पर बायर्स पेनल्टी भी लगा रहे हैं।
- इस संबंध में मिनिस्ट्री ऑफ शिपिंग व वाणिज्य एवं उद्याेग मंत्रालय को अवगत करवाया है। यह समस्या पूरे देश के निर्यातकाें के सामने आ रही है। ईपीसीएच की ओर से इस समस्या का समाधान करवाने का प्रयास किया जा रहा है। - राकेश कुमार, डायरेक्टर जनरल ईपीसीएच
- पोर्ट परिवहन विभाग के साथ वाणिज्य मंत्रालय को भी इस समस्या से अवगत कराया है। कंटेनरों की कमी व जहाज में देरी के कारण तैयार माल को समय से निर्यात नहीं कर पाने की समस्या सामने आ रही है। समाधान के विकल्प ढूंढे जा रहे हैं। - डॉ. भरत दिनेश, अध्यक्ष, जोधपुर हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स एसो.
- कंटेनर्स की कमी हुई तो समय पर निर्यात नहीं हो पाएगा, जिसका सीधा नुकसान एक्सपोर्टर्स को होगा तथा जहाज में देरी का जुर्माना भी एक्सपोर्टर्स को ही देना होगा। - निर्मल भंडारी, कन्वीनर, ज्वाइंट कोर कमेटी फॉर हैंडीक्राफ्ट
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